UPI Transaction New Rules
आपने देखा ही होगा कि भारत सरकार और रिज़र्व बैंक ने हाल ही में UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस से जुड़ी कुछ खासियतों में बड़ा बदलाव किया है। अब तक तो हम सब यूनीफॉर्मली बिना किसी चार्ज के ही UPI का इस्तेमाल करते आए हैं, लेकिन अब, आपको जरा ध्यान देना पड़ेगा—कुछ ट्रांजैक्शन पर अब चार्ज लगेगा।
तो, ये सारी बातें आखिर क्यों बदलीं? मुझे थोड़ा बहुत समझ आता है कि पिछले कुछ सालों में भारत में UPI का क्रेज़ कैसे बढ़ गया है। रोज़ाना करोड़ों लोग Google Pay, PhonePe, Paytm और BHIM जैसे ऐप्स का इस्तेमाल कर पैसे भेजते हैं। ये सब देख कर, मुझे लगता है कि इससे बैंकों और पेमेंट प्रोवाइडर्स पर काफी खर्च आता होगा। तो, सरकार ने सोच लिया कि क्यों न इस खर्च को थोड़ा ठीक-ठाक कर दिया जाए? बस इसलिए, 2025 के नए नियम लागू किए गए हैं।
अब बात करते हैं कि इन नए नियमों का असर क्या होने वाला है। सबसे पहले तो ये कि अब हर ट्रांजैक्शन फ्री नहीं रहेगा—यानी पहले जैसा बिल्कुल नहीं। हाँ, हाँ, आप सही सुन रहे हो; बड़ा ट्रांसफर करने पर आपसे अब पैसा वसूल किया जाएगा।
पहले तो ये कि छोटे-छोटे लेन-देन अभी भी फ्री रहेंगे—मतलब ₹2,000 तक का भुगतान कोई चार्ज नहीं लगेगा। लेकिन जैसे ही आप ₹2,000 से ऊपर भेजेंगे, वहाँ से समस्या शुरू होती है।
यह भी कह सकते हैं कि छोटी रकम वालों के लिए राहत की बात है कि अभी भी ₹2,000 तक का UPI पेमेंट मुफ्त रहेगा। वहीं बिजनेस वाले भी ध्यान दें—दुकानदार या ऑनलाइन रिसीवर्स को भी इस तरह की फीस देनी पड़ सकती है।
अब इस बदलाव का असर किस पर पड़ेगा? मेरी नजर में तो छोटे ग्राहकों पर इसका खासा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि वो अभी भी सीमित amounts में ही खर्च कर सकते हैं। लेकिन हाँ—बड़े ट्रांसफर करने वालों को हर बार इस चार्ज को झेलना पड़ेगा। साथ ही दुकानदार या व्यापारियों के लिए भी यह विकल्प खुला रहेगा कि वे ग्राहकों से अतिरिक्त फीस वसूल सकें जब वो डिजिटल पेमेंट लें।
सच कहूँ तो इस बदलाव ने मुझे थोड़ा आश्चर्यचकित किया है—क्या वाकई डिजिटल पेमेंट का सिलसिला इतना महंगा होने जा रहा है? कहीं-कहीं मेरा मन करता है कि लोग शायद फिर से कैश की ओर लौट जाएं (जो मैं जानता हूँ कि थोड़ा पुराना हो सकता है)। लेकिन सच कहूँ तो इससे सिस्टम भी मजबूत बनेगा और बैंकों को भी फायदा होगा।
तो आप समझ सकते हैं: फायदे वाले पहलुओं में बैंक और सर्विस प्रोवाइडर को खर्चों की भरपाई करने में सहूलियत मिलेगी और infrastructure बेहतर बनेगा। मगर दूसरी तरफ सबसे बड़ा नुकसान ये होगा कि आम आदमी को हर बड़े ट्रांजैक्शन पर पैसा देना पड़ेगा—यानि हमें अपने डिजिटल लेन-देन के तरीके को फिर से सोचने की जरूरत पड़ेगी।
खास बात ये है कि यह बदलाव असल में एक बड़ी चुनौती लेकर आया है—डिजिटल इंडिया मिशन की गति थोड़ी धीमी हो सकती है क्योंकि लोगों का भरोसा वैसे भी थोड़ा डगमगाया सा महसूस कर सकता है।
खैर, अंत में यही कहूँगा कि ये UPI के नए नियम 2025 निश्चित तौर पर सामान्य लोगों के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आएंगे। छोटे लेन-देन अभी भी बिना किसी ख़र्च के रहेंगे, लेकिन बड़े पैमाने पर पैसे भेजने या बिजनेस पेमेंट्स करने के दौरान आपको थोड़ा सोच-विचार करना पड़ेगा। मेरे ख्याल से यह बदलाव उन लोगों के लिए जरूरी था जो सिस्टम की मजबूती चाहते हैं—बस देखिए कैसे आने वाले दिनों में यह सब किस तरह चलता रहता है।
Q1. क्या अब UPI ट्रांजैक्शन पूरी तरह से पेड हो गया है?
👉 नहीं, ₹2,000 तक के लेन-देन पर कोई चार्ज नहीं लगेगा। केवल बड़ी रकम और बिज़नेस पेमेंट पर शुल्क देना होगा।
Q2. कितना चार्ज देना होगा UPI पेमेंट पर?
👉 ₹2,000 से ₹10,000 तक – ₹2 चार्ज, ₹10,000 से ₹1 लाख तक – ₹5 चार्ज, और ₹1 लाख से ज्यादा पर 0.1% शुल्क।
Q3. क्या दुकानदार से पेमेंट करने पर भी चार्ज लगेगा?
👉 हां, बिज़नेस पेमेंट (Merchant Transactions) पर चार्ज देना होगा।
Q4. क्या कैश ट्रांजैक्शन पर असर पड़ेगा?
👉 हां, कुछ लोग डिजिटल की बजाय कैश पेमेंट करना पसंद कर सकते हैं ताकि चार्ज से बचें।
Q5. छोटे यूजर्स के लिए क्या राहत है?
👉 ₹2,000 तक का ट्रांजैक्शन बिल्कुल मुफ्त रहेगा।
JAKIR HOSSAIN
My name is Jakir Hossain, and I have been involved in content writing for the past four years. I provide various types of informative content for users.
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